Jagannath ji ko Bukhar Kyon Aata Hai Dharmik Kahani

भगवान जगन्नाथ कब बीमार पड़ते है (Dharmik Kahani)

साल में एक बार भगवान जगन्नाथ को बुखार आता है, उन्होंने अपने भक्त की परेशानी अपने ऊपर ले ली, जगन्नाथस्वामी जो पूरी दुनिया को रोगों से मुक्ति दिलाते हैं वे स्वयं हर साल ज्येष्ठ मास की स्नान पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ बीमार पड़ जाते है

भगवान जगन्न्थ का इलाज केसे किया जाता है

भक्तों की तरह बीमार होते हैं और उनका भी इलाज किया जाता है, उनको दवाई के रुप में काढ़ा बना कर देते और फलों के रस, औषधि खाने के लिए दलिया का भोग लगाते है डॉक्टर चेक करता है

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Bhagwan Jagannath ko 15 Din Tak Ata Hai Bukhar (Dharmik Kahani)

भगवान जगन्नाथ पूर्णिमा से 15 दिनों तक आराम करते हैं और भक्तों को दर्शन नहीं देते मंदिर के कपाट 15 दिनों तक बंद रहते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ को फलों के रस, औषधि एवं दलिया का भोग लगाया जाता है। (Dharmik Kahani) (Jagannath ji ko Bukhar Kyon Aata Hai Dharmik Kahani)

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा

भगवान जगन्नाथ स्वस्थ्य हो जाते हैं और वो अपने  भक्तों से मिलने के लिए रथ पर सवार होकर आते हैं।  यह रथयात्रा हर वर्ष आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है l इस बार ये तिथि 20 जून 2023 थी

भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर कब जाते है

रथयात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर जाते है, जहां वे 9 दिन रहेंगे और फिर अपने धाम वापस आयेंगे (Dharmik Kahani)

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Bhakt Madhav Das Ki Katha

जगन्नाथ पूरी में भगवान श्री जगन्नाथ के एक भक्त माधव दास जी रहते थे। माधव दास जी अकेले रहते थे आर भगवान का भजन किया करते थे। हर रोज़ श्री जगन्नाथ प्रभु के दर्शन करते थे और अपनी मस्ती में मस्त रहते थे। वे संसारिक जीवन से कोई मोह-माया नहीं रखते थे ना वे किसी से कोई लेना-देना रखते थे। प्रभु माधव जी के साथ भगवान जगन्नाथ लीलाएं  करते थे (Dharmik Kahani)

एक दिन माधव दास जी की तबीयत खराब हो गई और, उन्हें उल्टी-दस्त के रोग हो गए, और वो कमज़ोर हो गए उनको  उठने-बैठने में भी समस्या होने लगी माधव दास  अपना काम स्वयं करते थे वे किसी से मदद नहीं लेते थे। जो व्यक्ति उनकी मदद के लिए आता था उनसे कहते थे की भगवान जगन्नाथ स्वयं उनकी रक्षा करेंगे। (Dharmik Kahani)

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एक दीन माधव जी की तबीयत इतनी खराब हो गई की वे अपना मल-मूत्र वस्त्रों में त्याग देते थे। लेटे रहते थे  तब स्वयं जगन्नाथ भगवान सेवक के रुप में माधव  दास के पास उनकी सेवा करने आये और माधव जी के गंदे वस्त्र भगवान जगन्नाथ खुद  साफ करते थे और उनको भी नहलाते थे उनकी पूरी सेवा करते थे। (Dharmik Kahani)

Bhagwan Jagannath or Unke Bhakt Madhav Dass ji (Dharmik Kahani)

इतनी सेवा कोई नहीं कर सकता था उनकी  जब माधवदास जी स्वस्थ्य हो गए और उन्हें होश आया तब भगवान जगन्नाथ जी को इतनी सेवा करते देख वेे तुरंत पहचान गए की यह मेरे प्रभु जगन्नाथ जी है ये मादव दास जी ने भगवन से पूंछा 

भगवन ! आप तो त्रिभुवन के मालिक हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो। आप चाहो तो मेरा ये रोग  दूर कर सकते हो, रोग दूर कर देते तो यह सब करना नहीं पड़ता। (Dharmik Kahani) (Jagannath ji ko Bukhar Kyon Aata Hai Dharmik Kahani)

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Jagannath Bhagwan ko Bukhar Kab Aata Hai

जगन्नाथ भगवांन ने कहा देखो माधव दास। मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता, इसी वजह से तुम्हारी सेवा की। जो प्रारब्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है।

अगर उसको इस जन्म में नहीं काटोगे तो उसको भोगने के लिए फिर तुम्हें अगला जन्म लेना पड़ेगा और मैं ये नहीं चाहता की मेरे भक्त को जरा से परेशानी हो अगला जन्म फिर लेना पड़े। इसीलिए मैंने तुम्हारी सेवा की लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नहीं टाल सकता (Dharmik Kahani)

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Jagannath Bhagwan ko Bukhar Kab Aata Hai

अब तुम्हारे जीवन में 15 दिन का रोग और बचा है, 15 (jagannath bhagwan fever) दिन का रोग जगन्नाथ प्रभु ने माधवदासजी (bhakt madhav das jagannath) से ले लिया

तभी से  भगवान जगन्नाथ 15 दिन बीमार रहते हैं तभी से आज तक वर्षों से यह चलता आ रहा है। साल में एक बार जगन्नाथ भगवान को स्नान कराया जाता है। जिसे हम स्नान यात्रा कहते हैं। स्नान यात्रा करने के बाद हर साल 15 दिन के लिए जगन्नाथ भगवान आज भी बीमार पड़ते हैं और  फिर 15 दिनों के लिए मंदिर के कपाट बंद होते  है (Dharmik Kahani)

जय भगवन जगन्नाथ

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