Dharmik Kahani, क्यों मेघनाद को केवल लक्षमण जी ही मार सकते थे

Dharmik-Kahani-क्यों-मेघनाद-को-केवल-लक्षमण-जी-ही-मार-सकते-थे2.webp

Dharmik Kahani क्यों मेघनाद को केवल लक्षमण जी ही मार सकते थे

दोस्तों आपका स्वागत है हमारी वेबसाइट stories.technologydevesh.com पर अगर आपको स्टोरी अच्छी लगे तो शेयर करें और हमे कमेंट भी करें Moral Short Stories in Hindi (Dharmik Kahani ) हमे अपनी जीवन में आगे बढ़ने की सही राह दिखाई देती है निराशा आशा में बदल जाती है ऐसी कहानी से Motivate होते है क्यों भगवान राम और हनुमान जी की लडाई हुई- Dharmik Kahani

image credit :google

अगस्त्य मुनि अयोध्या आए और कहानी सुनाई

लंका के युद्ध के कुछ वर्षों बाद एक बार अगस्त्य मुनि अयोध्या आए। श्रीराम ने उनकी अभ्यर्थना की और आसन दिया। राजसभा में श्रीराम अपने भ्राता भरत, शत्रुघ्न और देवी सीता के साथ उपस्थित थे। बात करते-करते लंका युद्ध का प्रसंग आया।

भरत ने बताया कि उनके भ्राता श्रीराम ने कैसे रावण और कुंभकर्ण जैसे प्रचंड वीरों का वध किया और लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों को मा  रा। अगस्त्य मुनि बोले – “हे भरत! रावण और कुंभकर्ण वीर थे, किन्तु इन से बड़ा वीर तो मेघनाद ही था। उसने अंतरिक्ष में स्थित होकर इंद्र से युद्ध किया था और उसे  पराजित कर लंका ले गया था।

Read also :Dharmik kahani दो भक्त की परीक्षा, कौन सा भक्त सफल हुआ

मेघनाथ का नाम इंद्रजीत क्यों पड़ा

 स्वयं ब्रह्मा ने इंद्रजीत से दान के रूप में इंद्र को मांगा तब जाकर इंद्र मुक्त हुए थे। लक्ष्मण ने उसका वध किया इसलिए वे सबसे बड़े योद्धा हुए। और ये भी सत्य है कि इस पूरे संसार में मेघनाद को लक्ष्मण के अतिरिक्त कोई और मार भी नहीं सकता था

भगवान् राम क्यों मेघनाथ को नहीं मर सकते थे

 तक कि स्वयं श्रीराम भी नहीं। भाई भरत को बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन भाई की वीरता की प्रशंसा से वह खुश थे। उन्होंने श्रीराम से पूंछा कि क्या ये बात सत्य है भरत के मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि आखिर अगस्त्य मुनि ऐसा क्यों कह रहे हैं कि इंद्रजीत का वध रावण से ज्यादा मुश्किल था?

Read also :Dharmik Kahani क्यों अगस्त्य ऋषि ने समुद्र को पिया

उन्होंने पूछा “हे महर्षि! अगर आप और भैया ऐसा कह रहे हैं तो ये बात अवश्य ही सत्य होगी और मुझे इस बात की प्रसन्नता भी है कि मेरा भाई विश्व का सर्वश्रेष्ठ योद्धा है किन्तु फिर भी मैं जानना चाहता हूँ  मेघनाद को लक्षमण के अतिरिक्त कोई और नहीं मार सकता था ऐसा क्यों था 

अगस्त्य मुनि ने भरत को क्या कहानी सुनाई

अगस्त्य मुनि ने कहा की हे भरत मेघनाद ही विश्व का एकलौता ऐसा योद्धा था जिसके पास विश्व के समस्त दिव्यास्त्र थे। उसके पास तीनों महास्त्र  ब्रम्हास्त्र, नारायणास्त्र एवं पाशुपतास्त्र भी था

और उसे ये वरदान था कि उसके रथ पर रहते हुए कोई उसे परास्त नहीं कर सकता था इसी कारण वो अजेय था। उस समय संसार में केवल वही एक योद्धा था जिसने अतिमहारथी योद्धा का स्तर प्राप्त किया था। ये सत्य है कि उसके सामान योद्धा वास्तव में कोई और नहीं था। उसने स्वयं भगवान रूद्र से युद्ध की शिक्षा ली और समस्त दिव्यास्त्र प्राप्त किये।

Read also :Dharmik Kahani कैसे एक बच्ची को भगवान ने दिए दर्शन

भगवान रूद्र ने स्वयं ही उसे रावण से भी महान योद्धा बताया था और उसकी शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात कहा था कि वो एक सम्पूर्ण योद्धा बन चुका है और इस संसार में तो उसे कोई और परास्त नहीं कर सकता। उन्होंने यहाँ तक कहा कि उन्हें संदेह है कि स्वयं वीरभद्र भी मेघनाद को परास्त कर सके। इसके अतिरिक्त उसकी परम पवित्र पत्नी सुलोचना का सतीत्व भी उसकी रक्षा करता था।

image credit :google

Read also :Dharmik Katha Hindi क्यों अश्वत्थामा ने श्रीकृष्ण जी का चक्र लिया

इस पर भरत ने कहा की हे महर्षि आपके मुख से मेघनाद की शक्ति का वर्णन सुनकर विश्वास हो गया कि वो वास्तव में महान योद्धा था किन्तु अगर केवल दिव्यास्त्र की है तो श्री राम के पास भी सारे दिव्यास्त्र थे। उन्होंने भी त्रिदेवों के महास्त्र प्राप्त किये। साथ ही साथ महाबली हनुमान को भी ये वरदान था कि उन पर किसी भी अस्त्र-शस्त्र का प्रभाव नहीं होगा और उनके बल और पराक्रम का कहना ही  अथाह नहीं

Read also :Dharmik Kahani कैसे भक्त प्रह्लाद की भक्ति से भगवान प्रगट हुए

लक्ष्मण  महा-प्रचंड योद्धा थे और उनके पास भी विश्व के सारे दिव्य अस्त्र थे पर उनको पाशु पात्र का ज्ञान नही था उसका ज्ञान मेघनाद को था। फिर भी लक्षमण  जी किस प्रकार मेघनाद का वध करने में सफल हुए। और आप ऐसा क्यों कह रहे हैं कि केवल लक्ष्मण ही उसका वध कर सकते थे?” इसपर अगस्त्य मुनि ने कहा “आपका कथन सत्य है। जितने दिव्यास्त्र मेघनाद के पास थे उतने लक्ष्मण के पास नहीं थे किन्तु इंद्रजीत को ये वरदान था कि उसका वध वही कर सकता था

Read also :Moral Short Stories in Hindi भगवान और विश्वास जो होता है अच्छे के लिए होता है

मेघनाद को क्या वरदान था

 1 चौदह वर्षों तक ब्रम्हचर्य का पालन किया हो।

 2 चौदह वर्षों तक जो सोया ना हो

3 चौदह वर्षों तक जिसने भोजन ना किया हो।

4 चौदह वर्षों तक किसी स्त्री का मुख ना देखा हो।

लक्ष्मण जी ही थे जिन्होंने मेघनाद के वरदान की शर्तों को पूरा किया Dharmik Kahani, क्यों मेघनाद को केवल लक्षमण जी ही मार सकते थे

image credit :google

 पूरे ब्रह्माण्ड में केवल लक्ष्मण जी ही थे जिन्होंने मेघनाद के वरदान की शर्तों को पूरा किया इसी कारण केवल वही मेघनाद का वध कर सकते थे। तब श्रीराम बोले की हे गुरुदेव! मेघनाद और लक्ष्मण दोनों के बल और पराक्रम से मैं अवगत हूँ।

Read also :Dharmik Kahani क्यों ऋषि ने राजा परीक्षिति श्राप दिया

अगर शक्ति की बात की जाये तो निःसंदेह इन दोनों की कोई तुलना नहीं थी। लक्ष्मण के ब्रम्हचारी होने की बात मैं समझ सकता हूँ किन्तु मैं वनवास काल में चौदह वर्षों तक नियमित रूप से लक्ष्मण के हिस्से का फल-फूल उसे देता रहा। मैं सीता के साथ एक कुटी में रहता था और बगल की कुटी में लक्ष्मण थे।

Read also :राम सेतु बनाने में गिलहरी ने कैसे की मदद Dharmik Kahani, Short Story in Hindi Dharmik Kahani, क्यों मेघनाद को केवल लक्षमण जी ही मार सकते थे

मैं, सीता और लक्ष्मण अधिकतर समय साथ ही रहते थे फिर भी उसने सीता का मुख भी न देखा हो, भोजन ना किया हो और चौदह वर्षों तक सोए न हों, ऐसा कैसे संभव है लक्मण जी ने केवल माता सीता के चरण देखे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here