नेत्र हीन सूरदास जी को भगवन कृष्ण और राधा रानी जी ने कैसे दिए दर्शन (Dharmik Story in Hindi )
कृष्ण भक्त सूरदास जी
सूरदास जी कृष्ण भक्त थे, वो भक्तिमार्ग में लोगों को प्रेरणा मिली
नेत्र हिन होने से उनको कोई पसंद नहीं करता था
सूरदास जी जन्म से ही नेत्रहीन थे जिसके वजह से परिजन उन्हें पसंद नहीं करते और उन्होंने काफी छोटी आयु में ही घर छोड़ कर सन्यासी बन गए
भक्त और भगवन कृष्ण का बंधन
सूरदास जो और भगवान कृष्ण जी के बीच भक्त और भगवन का अटूट बंधन था
नेत्रहीन होने के बाद भी सूरदास को हुए भगवान के दर्शन ( Dharmik Story in Hindi)
सूरदास जी को राधा रानी और भगवन कृष्ण की आवाज सुनाई दी
सूरदास जी वृन्दावन बैठे थे राधा-कृष्णा कि भक्ति में लीन थे,
भगवान को भक्त के साथ क्रीडा करने का मन हुआ और सूरदास जी को राधा रानी और कन्हैया की बातें सुनाई दी
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भगवन कृष्ण को हुआ भक्त को दर्शन देने का दिल Dharmik Story in Hindi
कन्हैया बोले राधे आगे मत जाओ आगे सुरदस जी बैठे हैं, उन्हें पता चलेगा तो वे पैर पकड़ लेंगे
राधा रानी बोलीं मैं तो जाउंगी यह कहकर श्री राधा रानी जी, बाबा सूरदास के पास आई और उनसे पूछने लगी कि आपके पास आई तो आप मेरे चरण पकड़ लेंगे
सूरदास जी ने बोलै की में तो नेत्रहीन हूँ आपके चरण कैसे पकडूगा
नेत्र हीन होने के बाद भी राधा रानी के चरण पकडे और उनकी पायल उनके हाथ में रह गयी
और राधा रानी के चरण स्पर्श कराया उन्होंने झट्ट से उनका चरणों को पकड़ लिया राधा जी तो उनसे बचकर एक बालक की तरह भाग गई उनकी एक पायल सुरदाजी के हाथ में रह गयी
फिर श्रीराधा रानी जी बोली बाबा मुझे मेरी पायल दे दो, मुझे रासमंडल जाना है.
सूरदास जी ने राधा रानी को कहा की मुझे क्या पता यह पायल आपकी ही है, कोई और आकर मुझसे पायल मांगने लगा तो मैं क्या करूंगा
हां अगर आप दूसरे पांव में ऐसी ही पायल देख लूंगा तो आपको पायल दे दूगा.
सूरदास भक्त को दिए दर्शन ( Dharmik Story in Hindi)
तब भगवन मुस्कुराए और अपने भक्त सूरदास जी को नेत्र में द्रष्टि प्रदान की सूरदास जी उसके बाद अपने भगवन की छवि को निहार ते रहे गए
कृष्ण जी ने भक्त को दिया आशीर्वाद
भक्त की भक्ति में भावविभोर हुए कन्हाई जी
कन्हैया ने सूरदास से कहा जो वरदान मांगना है मांग लो सूरदास जी बोले आप मुझे दोगे
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सूरदास जी ने वरदान माँगा
कृष्ण जी ने कहा अवश्य. सूरदास ने हाथ जोड़ते हुए कहा हे भगवन मैं चाहता हू कि जिन नेत्रों से मैंने आपका दर्शन किया है, उन नेत्रों में मैं केवल और केवल आपको बसा लू, अब मैं इस मायारूपी संसार को देख कर अपने नेत्रों को मैला नहीं चाहता इसलिए कृपा करके आप मुझे दुबरा नेत्रहीन बना दे , ऐसा सुन कर भगवन के नेत्र सजल हुए
भक्त और भगवन का मिलन( Dharmik Story in Hindi )
भगवान ने भक्त को अपने गले से लगाया और देखते ही देखते सूरदास फिर से नेत्र हिन हो गए
सूरदास जी की भक्ति कहानी ( Dharmik Story in Hindi)
सूरदास आध्यात्मिकता सीखने के लिए एक गुरु के पास गए। गुरु को एहसास हुआ कि सूरदास जी को में क्रोध ज्यादा आता है उन्होंने पहले सूरदास को गुस्सा नियंत्रित करने का फैसला किया। गुरु ने सूरदास को अपने नियमित कार्य करते हुए पूरे एक महीने तक भगवान का नाम जपने और महीने के अंत में स्नान करके उनके पास वापस आने के लिए कहा। सूरदास ने कार्य पूरा किया और आश्रम के रास्ते में उनकी मुलाकात एक लापरवाह सफाई कर्मचारी से हुई जिसने उनके कपड़े गंदे कर दिए। सूरदास ने गुस्से से सफाई वाले को चिल्लाया। यह देखकर गुरु ने सूरदास को यह कहते हुए वापस भेज दिया कि वह तैयार नहीं है, और उसे एक और महीने के लिए कार्य दोहराने के लिए कहा। दूसरे महीने के अंत में सफाईकर्मी के साथ घटना दोहराई गई और सूरदास ने फिर गुस्से से जवाब दिया। गुरु ने सूरदास को एक और महीने के लिए कार्य दोहराने के लिए वापस भेज दिया। तीसरे महीने के अंत में, जब सफाई कर्मचारी ने सूरदास के कपड़े फिर से गंदे कर दिए, तो सूरदास ने सफाई कर्मचारी को यह कहकर धन्यवाद दिया कि उसने ही उसे अपना गुस्सा नियंत्रित करने में मदद की थी। गुरु जो यह देख रहे थे, उन्होंने सूरदास का आश्रम में स्वागत किया क्योंकि वह अंततः सीखने के लिए तैयार थे।
FAQs SURDAS JI (Dharmik Story in Hindi)
क्या सूरदास ने कृष्ण को देखा था?
कृष्ण ने उनकी आँखों को छुआ, और उनकी दृष्टि वापस आ गई। उन्होंने कृष्ण को देखा और राधा रानी को देखा
क्या सूरदास जी जन्म से अंधे थे ?
सूरदास जी जन्म से अंधे थे जिसके कारन उनके परिजन ने त्याग दिया था
सूरदास जी ने किसको देखा ?
सूरदास जी ने भगवन कृष्ण और राधा रानी के दर्शन किये
सूरदास क्यों प्रसिद्ध है?
सूरदास इसी लिए प्रसिद्ध है क्योंकि उन्होंने नेत्रहीन होने के बाद भी महान ग्रंथों व काव्य की रचना की
सूरदास किसकी पूजा करते थे?
भगवन कृष्ण और राधा रानी के भक्ति में लीन रहते थे
सूरदास के काव्य की भाषा कौन सी है?
ब्रजभाषा में काव्य लिखे