Kyun Hanumanji Ne Kaha Ki Mein Ram Ka Dass Hun ( क्यों हनुमानजी ने कहा की मैं राम का दास हूँ )
भक्तों सुन्दरकांड के प्रसंग से आपको हम आपको बताते है क्यों हनुमानजी ने कहा की मैं राम का दास हूँ
Sunderkaand Mein Ye Prasang Hai (सुंदरकांड में ये प्रसंग है) Kyun Hanumanji Ne Kaha Ki Mein Ram Ka Dass Hun
मैं न होता, तो क्या होता क्या हुआ जब रावण अशोक वाटिका आया एक दिन जब रावण क्रोध में अशोक वाटिका आया और तलवार लेकर, सीता माँ को मारने के लिए दौड़ा
उस समय हनुमान जी को लगा कि इसकी तलवार लेकर , इसका ही सिर काट देना उचित है
परन्तु अगले पल हनुमानजी ने क्या देखा
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Kese Prabhu Shri Ram Ne Mandodri Ko Bachane Ke Liye Bheja (कैसे प्रभु श्री राम ने मंदोदरी को बचाने के लिए भेजा)
मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया और उसे रोक दिया
हनुमानजी खुश हुए और , वे सोचने लगे, यदि मैं आगे बढ़ता माता सीता को बचाने के लिए तो मुझे भ्रम हो जाता यदि मैं नही होता, तो फिर माता सीता जी को कौन बचाता
ऐसे समय में भ्रम हो जाता है
परतु भगवान ने किस से कौन सा कार्य करवाना है वो उनके ऊपर है और वो सब निश्चित है
सीता माता को बचाने का कार्य भगवान ने रावण की पत्नी को दिया फिर हनुमान जी समझ गये, कि प्रभु जिससे जो कार्य लेना चाहते हैं, वह उसी से लेते हैं।
थोड़ी देर बाद त्रिजटा वहां आयी और उसने राक्षसनी को कहा कि मेने सपने में देखा कि लंका में बंदर आया हुआ है, उसने लंका जला दी
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Trijita Ki Baat Sunkar Hanumanji Ne Kya Socha (त्रिजिटा की बात सुनकर हनुमानजी ने क्या सोचा)
हनुमान जी बड़ी चिंता मे पड़ गये ओर सोचा कि प्रभु का ऐसा तो कोई आदेश नही है, की लंका को जलाना है
हनुमानजी सोच में पड़ गए कि , अब उन्हें क्या करना चाहिए फिर उन्होंने कहा जैसी प्रभु की चाहे
Kya Hua Ravan Ke Darbar Mein ( क्या हुआ रावण के दरबार में )
जब रावण के दरबार में सैनिक तलवार लेकर हनुमान जी को मारने के लिये दौड़े, तो हनुमान जी के लिये प्रभु ने विभीषण को भेज दिया और विभीषण ने आकर कहा कि दूत को मारना अनीति का काम है , तो हनुमान जी समझ गये कि मुझे बचाने के लिये प्रभु ने यह उपाय कर दिया
Sabha Mein Kya Dand Diya Hanumanji Ko (सभा में क्या दंड दिया हनुमानजी को)
सभी ने मिलकर ये सजा दी हनुमानजी को की इस बंदर को मारा नहीं जाये ओर इसकी पूंछ में कपड़ा लपेट कर, घी डालकर, आग लगाई जाये
तभी हनुमान जी त्रिजटा वाली बात याद आयी ओर सोचने लगे कि लंका वाली त्रिजटा की बात सच थी
हनुमानजी सोचने लगे कि लंका को जलाने के लिए मैं घी, तेल, कपड़ा और आग कहाँ से लाता
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सब कुछ अपने आप ही हो गया प्रभू ने सब करवा दिया वो प्रभु ने रावण से करा दिया! जब आप रावण से भी अपना काम करा सकते हो तो, में तो सेवक हु तो आश्चर्य की बात नही
भक्तों संसार में जो हो रहा है, वह सब ईश्वरीय विधान है जैसा प्रभु चाहे
वो सब होता है सब तो उनके आदेश का पालन करते है
कभी भी घमंड नही करना अपनी कामयाबी का श्रेय भगवान को दें
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Hanuman Ji Ne Kaha (हनुमानजी ने कहां ) Kyun Hanumanji Ne Kaha Ki Mein Ram Ka Dass Hun
ना मैं श्रेष्ठ हूँ ना ही मैं ख़ास हू
मैं तो बस छोटा सा भगवान श्री राम का दास हूँ
भक्तों भगवान् के भक्त हमेशा श्रेय भगवान् को देते है जीवन में कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए भगवान् के भक्त पर संकट आ सकते है पर जीवन में कोई उसको परास्त नहीं कर सकता
जय श्री राम