Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani

राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का मंदिर है लाखों भक्त आते है और उनकी मनोकामना पूरी होती है (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

श्याम बाबा कौन थे (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक है, महाभारत की कहानी के अनुसार बर्बरीक का सिर राजस्थान प्रदेश के खाटू नगर में निकला इसीलिए बर्बरीक जी का नाम खाटू श्याम बाबा के नाम से प्रसिद्ध  गया खाटू नगर सीकर जिले के नाम से जाना जाता, खाटू श्याम बाबा जी कलियुग में श्री कृष्ण भगवान के अवतार के रूप में माने जाते हैं

श्याम बाबा किसके पुत्र है

श्याम बाबा घटोत्कच और नाग कन्या मौरवी के पुत्र हैं, उनकी दादी हिडिम्बा है बर्बरीक के दादा भीम है 

जन्म से बर्बरीक के बाल बब्बर शेर के समान थे इसलिए उनका नाम बर्बरीक रखा गया

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बर्बरीक का नाम श्याम बाबा (Shyam Baba) कैसे हुआ

कहानी इस प्रकार है – बर्बरीक बचपन में वीर और तेजस्वी बालक थे  बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण और अपनी माँ मौरवी से युद्धकला, कौशल सीखकर निपूर्ण हो गए (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

बाबा श्याम को 3  तीर किसने दिए

बर्बरीक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिसके आशीर्वाद प्रसन होकर भगवान शिव ने बर्बरीक को 3 चमत्कारी बाण प्रदान किए कुछ कहानी में ऐसा भी लिखा है उनको तीर माता ने दिए थे इसी कारण बर्बरीक का नाम तीन बाणधारी के रूप और नाम से में भी प्रसिद्ध है भगवान अग्निदेव ने बर्बरीक को एक दिव्य धनुष भी दिया था, जिससे वो तीनों लोकों पर विजय प्राप्त कर सकते थे (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

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महाभारत युद्ध और श्याम बाबा

बाब श्याम को क्यों कहा जाता है हरे का सहारा (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

महाभारत कौरवों-पांडवों का युद्ध होने का सूचना बर्बरीक को मिली तो उन्होंने  युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया श्याम बाबा ने माँ का आशीर्वाद लिया और उन्हें हारे हुए पक्ष का साथ देने का वचन दे दिया और देकर निकल पड़े इसी वचन के वजह से उनको हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा यह बात प्रसिद्ध है (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani

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बाबा श्याम की भगवन कृष्ण जी ने ली परीक्षा (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

बर्बरीक जब महाभारत के युध के लिए जा रहे थे तो उन्हें मार्ग में एक ब्राह्मण मिले, ब्राह्मण भगवान श्री कृष्ण थे जो बर्बरीक की परीक्षा लेना चाहते थे, ब्राह्मण बने श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि वो मात्र 3 बाण लेकर लड़ने को जा रहे हो मात्र 3 बाण से कोई युद्ध कैसे लड़ सकता है बर्बरीक जी बोले कि उनका एक बाण शत्रु सेना को पूरी तरह समाप्त करने में सक्षम है और इसके बाद भी वह तीर नष्ट न होकर वापस उनके तरकश में आ जाता है अगर तीनों तीर के उपयोग से तो सम्पूर्ण जगत का विनाश किया जा सकता है

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भगवन कृष्ण जी ने बबरीक जी की परीक्षा ली

ब्राह्मण भगवान कृष्ण ने बर्बरीक से एक पीपल के वृक्ष की ओर इशारा किया की वो एक बाण से पेड़ के सारे पत्तों को भेदकर दिखाए तभी पता लगेगा की महावीर हो बर्बरीक ने भगवान का ध्यान कर एक बाण छोड़, उस बाण ने पीपल के सारे पत्तों को छेद कर दिया और उसके बाद बाण ब्राह्मण बने भगवन कृष्ण जी के पैर के चारों और घूमने लगा क्यों की कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छिपा लिए था बर्बरीक समझ गये कि तीर उसी पत्ते को भेदने के लिए ब्राह्मण के पैर के चक्कर लगाने लगा, बर्बरीक ने कहा की  ब्राह्मण अपना पैर हटा लो, नहीं तो ये आपके पैर को वेध डालेगा श्री कृष्ण बर्बरीक के पराक्रम से प्रसन्न हुए उन्होंने पूंछा कि बर्बरीक किस पक्ष की तरफ से युद्ध करेंगे (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

बर्बरीक जी बोले कि उन्होंने लड़ने के लिए कोई पक्ष निर्धारित नहीं  किया उन्होंने  वचन अनुसार हारे हुए पक्ष की ओर से ही लड़ेंगे का निर्णय लिया है भगवन श्री कृष्ण ये सुनकर विचारमग्न हुए  क्योकि बर्बरीक ने माता को वचन दिया था के इस वचन के बारे में कौरव जानते थे कौरवों ने योजना बनाई, युद्ध के पहले दिन वो कम सेना के साथ युद्ध करेंगे जिस से  इससे कौरव युद्ध में हराने के बाद , बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़नेगे और बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ेंगे फिर  चमत्कारी बाण पांडवों का नाश कर देंगे कौरवों की योजना कृष्ण जी समझा गए थे (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

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बाबा श्याम को क्यों  कहा जाता है शीश के दानी

ब्राह्मण के रूप में  कृष्ण ने बर्बरीक से एक दान देने का वचन माँगा  बर्बरीक ने दान देने का वचन दे दिया,  फिर ब्राह्मण ने बर्बरीक से कहा की  उसे दान में बर्बरीक का शीश  चाहिए, दान को  सुनकर बर्बरीक आश्चर्यचकित हुए और समझ गये कि यह ब्राह्मण कोई सामान्य नहीं है, बर्बरीक जी ने प्रार्थना कि वो वचन अनुसार अपने शीश का दान अवश्य देंगे , लेकिन पहले ब्राह्मणदेव आप वास्तविक रूप में दिखाओ कृष्ण अपने असली रूप में प्रकट हो गए और  बर्बरीक जी बोले कि हे देव मैं अपना शीश देने के लिए बचनबद्ध हू लेकिन मेरी युद्ध देखने की इच्छा है कृष्ण ने बर्बरीक की वचनबद्धता से प्रसन्न होकर उसकी इच्छा पूरी करने का आशीर्वाद दे दिया  बर्बरीक ने अपना शीश काटकर  कृष्ण को दे दिया श्री कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को 14 देवियों के द्वारा अमृत से सींचकर युद्धभूमि के पास एक पहाड़ी पर स्थित किया, जहाँ से बर्बरीक युद्ध का दृश्य देख ले  इसके  बाद  कृष्ण ने बर्बरीक के धड़ का विधि से अंतिम संस्कार कर दिया (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

बाबा श्याम ने तोडा पांडवों का घमंड

महाभारत का महान युद्ध समाप्त हुआ और पांडव विजयी हुए  विजय के बाद पांडवों में बहस होने लगी कि इस विजय का श्रेय किस योद्धा को जाता है

श्री कृष्ण ने कहा बर्बरीक ने युद्ध के साक्षी रहे हैं तो इस प्रश्न का उत्तर उन्ही से जानना, तब बर्बरीक ने कहा कि इस युद्ध की विजय का श्रेय केवल श्री कृष्ण को जाता है, क्योकि यह सब कुछ श्री कृष्ण की युद्धनीति के कारण ही सम्भव हुआ विजय के पीछे सबकुछ श्री कृष्ण की ही माया थी बर्बरीक के वचन से देवताओं ने बर्बरीक पर पुष्पों की वर्षा की और उनके गुणगान किये (Shyam Baba ki Sacchi kahani Kahani)

बर्बरीक को श्याम नाम कैसे पड़ा

श्री कृष्ण वीर बर्बरीक की महानता से अति प्रसन्न होकर कहाँ वीर बर्बरीक आप महान है, मेरे आशीर्वाद स्वरुप आज से आप मेरे नाम श्याम से प्रसिद्ध होंगे कलियुग में आप कृष्ण अवतार रूप में पूजा जायेंगे और अपने भक्तों के मनोरथ पूर्ण करोगे भगवान श्री कृष्ण का वचन सिद्ध हुआ (Shyam Baba ki Sacchi Dharmik Kahani)

जय श्याम बाबा की

हारे के सहारे की

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